छठ पूजा 2022 — जानें सभी महत्वपूर्ण जानकारी और छठ पूजा का शुभ मुहूर्त

Vinay Bajrangi
4 min readOct 28, 2022

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दिवाली के बाद, साल का दूसरा अत्यधिक धार्मिक महत्व का त्यौहार, छठ मनाया जाता है। छठ पूजा कब है और इसका क्या महत्व है? छठ के पर्व को आस्था का महापर्व कहा गया है। कार्तिक माह अत्यंत ही शुभ माह है जिसमें एक के बाद एक धार्मिक महत्व के त्यौहार आते हैं। छठ का त्यौहार शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है और इस दिन छठी मैया की पूजा की जाती है। बिहार के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक छठ पूजा हर वर्ष अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है जिसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है। यह पर्व दिवाली/Diwali के ठीक 6 दिन बाद मनाया जाता है। यह पर्व मुख्यतः उत्तर भारत के राज्य बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाने का प्रचलन है पर अब इसकी धूम पूरे देश बल्कि विदेशों में भी देखने को मिलती है।

Chhath Puja 2022

ऐसी मान्यता है कि छठ पूजन से भक्तों को सुख-समृद्धि, वैभव, धन, यश, शोहरत, और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो महिलाएं छठ का व्रत रखती हैं उनकी संतानों को दीर्घायु, उत्तम स्वास्थय और वैभव की प्राप्ति होती है। छठ पर्व भारत के कुछ कठिन पर्वों में से एक है जो पूरे चार दिनों तक चलता है। इस पर्व में 36 घंटे निर्जला व्रत रख कर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। महिलाओं के साथ पुरुष भी यह व्रत मनोकामना पूर्ती के लिए करते हैं। कार्तिक माह/Kartik Maas की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय की विधि होती है, इसके बाद दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है। आइए जानते है कब से शुरू हो रहा है छठ पर्व/Chhath Festival, नहाय-खाए और खरना की तिथि व व्रत पारणा के लिए सूर्योदय का समय।

छठ पूजा का पहला दिन नहाय- खाए — 28 अक्टूबर 2022, दिन शुक्रवार

कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को छठ महापर्व की पहली परंपरा यानि नहाय-खाए का पालन किया जाता है। इस परंपरा के अनुसार सुबह उठकर घर की सफाई की जाती है और उसे गंगाजल से शुद्ध किया जाता है। इसके बाद श्रद्धालु स्वयं स्वच्छ हो शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं और व्रत की शुरुआत के लिए संकल्प लेते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन दाल, भात और सादी सब्ज़ी का सेवन किया जाता है और खाने में सिर्फ सेंधा नमक ही इस्तेमाल किया जाता है।

छठ पूजा का दूसरा दिन — खरना- 29 अक्टूबर 2022, शनिवार

नहाय खाए की परंपरा के साथ, उससे अगले यानि दूसरे दिन (शुक्ल पंचमी) भक्त दिनभर उपवास करते हैं और सांयकाल भोजन करते हैं। इस परंपरा को ‘खरना’ कहा जाता है। खरना के दिन प्रसाद के रूप में गन्ने के रस से बनी हुई चावल की खीर, दूध, चावल का पिट्ठा और घी लगी हुई रोटी बनाई जाती है। इस प्रसाद को ग्रहण करना अत्यंत शुभ माना गया है। इस प्रसाद में नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता और मीठे के लिए गन्ने के रस का इस्तेमाल किया जाता है।

अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद भी बनाया जाता है। गुड़ की विशेष खीर को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर ही बनाया जाता है। इससे इसमें और अधिक शुभता व शुद्धता आती है। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का व्रत/Vrat रखा जाता है। खरना केवल तन ही नहीं मन की शुद्धि की भी प्रक्रिया है। इस दिन आत्मिक शुद्धिकरण पर भी ध्यान दिया जाता है।

छठ पूजा का तीसरा दिन अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य: 30 अक्टूबर 2022, रविवार

छठ पूजा का मुख्य दिन, कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कहा गया है। इस दिन सभी भक्त सुबह से ही भक्ति में सरोबार रहते हैं। सायंकाल को पूजा की पूरी तैयारी के साथ बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है। व्रती के साथ-साथ परिवारजन तथा पड़ोस के सभी लोग अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाट की ओर जाते हैं। जिन स्थानों पर घाट नहीं है वहाँ सरकार, भक्तजनों की सुविधा के लिए, कृत्रिम घाटों का निर्माण करवाती है। दिल्ली में यह बहुतायत से देखने को मिलता है। सभी लोग तालाब, नदी या इन कृत्रिम घाटों पर सामूहिक रूप से अर्घ्य चढ़ाते हैं। डूबते सूर्य को जल चढ़ाना एक शुभ कर्म माना गया है।

Chhath Puja Festival

छठ पूजा की तिथि

कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि प्रारंभ: 30 अक्टूबर 2022, सुबह 05:49

कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर 2022

छठ पूजा 2022 शुभ मुहूर्त

30 अक्टूबर को सूर्यास्त के समय डूबते सूर्य को शाम 5 बजकर 37 मिनट पर अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं 31 अक्टूबर को सूर्योदय/Sunrise Time के समय उगते हुए सूर्य को सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर अर्घ्य देना है।

छठ पूजा का चौथा दिन — उगते सूर्य को अर्घ्य- 31 अक्टूबर 2022, सोमवार

चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी को प्रातः उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व भक्त पानी में खड़े हो जाते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देने के पश्चात व्रती प्रसाद का सेवन कर व्रत का पारणा करते हैं। यहीं पर छठ का पर्व सम्पूर्ण हो जाता है। उसके बाद घर जाकर लोग छठी मैया को याद करते हुए दिन व्यतीत करते हैं।

Source: https://sites.google.com/view/vinaybajrangis/blog/chhath-puja-2022

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Written by Vinay Bajrangi

Dr. Vinay Bajrangi is the famous astrologer in India and Delhi NCR. For know more click on https://www.vinaybajrangi.com/

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